लेखनी कहानी -01-Sep-2022 सौंदर्या का अवतरण का चौथा भाग भाग 5, भाग-6 भाग 7 रक्षा का भारत आना ८भाग २१भ

४०- नामकरण की तैयारियां शुरू -

और पंडित जी से बात की।रक्षा में पंडित जी को बताया ...कि भाभी अब ठीक है और उनकी जो बेटी हुई है उसका नामकरण संस्कार करवाना है, तो उसके लिए शुभ मुहूर्त जरा देखकर बताइए,कि किस दिन यह कार्यक्रम रखा जाए। पंडित जी ने बेटी के जन्म का समय तारीख और दिन पूछा-  रक्षा ने पंडित जी से कहा-कि रुकिए मैं वह मां से पूछ कर बताती हूं। रक्षा ने  मां से पूछा........ के नन्ही परी के जन्म की तारीख समय और दिन क्या है, मां ने नन्ही परी के जन्म का समय और दिन रक्षा को बताया। और रक्षा ने यह सब  पंडित जी को बताया। पंडित जी ने कहा- मुझे थोड़ा समय दो। मैं पंचांग देख कर बताता हूं।कि  ये कौन सा समय ठीक रहेगा। रक्षा बोली... ठीक है। कह कर फ़ोन  रख दिया, और मां को बताया - कि पंडित जी शाम तक पंचांग देख कर उचित समय  बताएंगे। अब तैयारी पार्टी में क्या पहनेंगे ? इसकी करनी थी। रक्षा बोली मां हम लोग शॉपिंग पर जाएंगे। और भाभी के लिए कुछ अलग सा ड्रेस  लेंगे। मां ने कहा- हां हां जो तुम्हें पसंद हो वो ले लेना। मां ने कहा,- कल सुबह सुबह शॉपिंग पर चली जाना और जो जो पसंद आए, वह सब ले आना। और मेरी नन्ही परी के लिए भी सुंदर सुंदर सी ड्रेस लेकर आना। आखिर तो उसी का नामकरण होगा। मां ने श्रेया और श्रवन से कहा- कि नन्ही परी के लिए कोई नाम सोच लिया है‌, श्रेया ने मां से कहा- कि हां मैने अपनी परी  का नाम सोचा है‌, श्रेया ने बताया जी मां  जी मैंने नाम सोच रखा है।  किसी ने श्रेया से नाम क्या रखेंगी यह जानना नहीं चाहा। मां ने कहा- नहीं अभी कोई श्रेया से नाम नहीं पूछेगा, और नन्ही परी का नामकरण होने के बाद ही श्रेया सबके सामने जो भी नाम रखेगी वही सब लोग पुकारेंगे। इतने में पंडित जी का फोन आ गया, पंडित जी ने बताया- कि 2 दिन बाद का मुहूर्त बहुत शुभ है। और उसी में नामकरण किया जाए तो बहुत अच्छा रहेगा। ‌‌ रक्षा ने मां को बताया- मां ने तुरंत वह डेट फाइनल कर दी। और सभी तैयारियां बहुत तेजी से होने लगी। क्योंकि बीच में दो ही दिन का समय था। और 2 दिन में हीं सारा सामान जुटाना था। सारे इंतजाम करने थे, लेकिन हां मां ने कहा ठीक है। जो शुभ समय आपने बताया है। सारे काम उसी शुभ समय पर किए जाएंगे। आप तैयार रहिएगा और समय से आ जाइएगा। पंडित जी ने कहा- ठीक है मैं तो आ ही जाऊंगा। मैंने कहा- ठीक है आपका स्वागत है, आप समय से उपस्थित हो जाइएगा। बाकी सब तैयारियां हम कर लेंगे, कहकर मां ने घर में सभी को बुलाकर बात शुरू की। और कहा कि अब कोई लेट लतीफ नहीं होगा। श्रवन को काम की लिस्ट सौंपी गयी। कुछ काम पिताजी को सौंपे गये। शॉपिंग का काम रक्षा को सौंपा गया। और सब अपने-अपने काम पर लग गए। सभी ने फटाफट काम शुरू किए, और शाम तक लगभग आधी से ज्यादा तैयारी हो चुकी थी। मैं यह देख कर बड़ी खुश हुई । सभी कार्य सुचारू रूप से हो रहे थे। मां को कोई चिंता नहीं लग रही थी। शेष बचे हुए काम अगले दिन सभी ने निपटाए। और  पूजा की तैयारी पूरी तौर से हो गई थी। 

पूजा के 1 दिन पहले  शाम को ही श्रेया के माता पिता श्रेया के घर आ गए थे। वह श्रेया की पूरी फैमिली के लिए बहुत सारा सामान लेकर आए थे। श्रेया के सास ससुर के लिए कपड़े, श्रेया की ननद रक्षा के लिए कपड़े, श्रेया और श्रवन के लिए बहुत सारे  कपड़े और उपहार, नन्ही परी के बहुत सारा सामान लेकर आए थे। श्रेया मां को देखते ही मां से लिपट गई। उसकी आंखों में आंसू बहने लगे। श्रेया की मां भी श्रेया से गले लग कर रो रही थी। उनको देखकर श्रेया के पापा भी रोने लगे ऐसे महसूस हो रहा था। जैसे वो कई युगों के बाद अपनी बेटी से मिले हो। और क्यों न हो, कह सकते हैं ऐसे लग रहा था कि वह लोग अपनी बेटी से कई युगों बाद मिला ु रहे हों, क्यों ना हो जब श्रेया हॉस्पिटल में थी तो उसके बचने की कोई उम्मीद ना थी। सभी निराश हो चुके थे। सभी की हिम्मत जवाब दे चुकी थी किसी को नहीं लगता था। कि श्रेया के बचने की  उम्मीद  बची थी।  लेकिन फिर एक चमत्कार हुआ । श्रेया का डॉक्टर बदल दिया गया और दूसरे अस्पताल में शिफ्ट किया गया। फिर  श्रेया का दूसरा  ऑपरेशन हुआ, और  श्रेया थोडी ठीक होने लगी । ये श्रेया के संघर्ष की कहानी थी। श्रेया की सासू मां ने श्रेया की मां को तुरंत ही चुप कराया। और खुशी का माहौल बनाया , फिर अगले दिन के प्रोग्राम की  सभी लोग बाते करने लगे। सभी को सुबह जल्दी उठना है। सर्वप्रथम नहा धोकर पूजा पाठ के काम में लगना  बहुत जरूरी है। और कल सुबह पंडित जी के आने के बाद पूजा पाठ कराकर नन्ही परी का नामकरण करने के बाद घर में आए हुए मेहमानों के लिए चाय नाश्ते की व्यवस्था करना यह सभी घर के लोगों का ही काम होगा। क्योंकि खाना तैयार होने में समय लगेगा और उतने समय तक क्या मेहमान भूखे बैठे रहेंगे। यह सारी व्यवस्था की जिम्मेदारी की रक्षा की  थी। रक्षा ने कभी इतना काम नहीं किया था। लेकिन भाई भाभी की खुशी में शामिल होना, और उनकी खुशियों को बढ़ाना अपना फर्ज समझती थी। इसलिए बिना ना नुकुर किए हुए हर काम के लिए तत्पर रहती थी। कभी भी किसी भी काम को मना नहीं करती थी। अब रात हो चली थी, तो सभी लोग खाना पीना खा पीकर सोने की तैयारी में लगे थे।क्योंकि सुबह जल्दी उठकर साफ सफाई करके पूजा पाठ में बैठना है, इसीलिए सब लोग अपने अपने कमरे में चले गए। श्रेया के माता  पिता का बिस्तर हाल में ही लगा दिया गया।वह लोग वही हाल में विश्राम करने के लिए लेट के कुछ ही देर में सभी लोग निद्रा देवी की गोद में समा गए थे। लेकिन सुबह जल्दी उठने की बात भी थी। सो सभी जल्दी लेट कर सो गए।

सुबह का 4:00 का बज गया किसी को पता भी नहीं चला जब पक्षी  चहचहाने लगे चिड़िया चूं चूं करने लगी सूरज ने अपनी किरणें भी बिखेरना शुरू कर दिया,सुबह के सूरज की लालिमा घर के आंगन में बिखरने लगी ।प्रातः काल की आभा सुनहरी स्वर्णिम दिखाई देने लगा।तब अचानक से सभी की आंख खुली।  आज का सवेरा सभी को सुखद हो। ऐसे सभी ने एक-दूसरे को शुभकामनाएं देते हुए आंखें खोली और बिस्तर छोड़ दिए। और फटाफट बिस्तर बांधकर उन को संभाल कर रखा गया, और एक बार सभी ने सुबह की पहली चाय पी। चाय  पीने के बाद सभी नहाने धोने में व्यस्त हो गए। क्योंकि थोड़ी ही देर में पंडित जी आने वाले थे। और उस समय तक तैयार होना जरूरी था। क्योंकि पंडित जी के आने के बाद तो पूजा पाठ शुरू हो जाएगा, फिर सब बिजी हो जाएंगे। किसी के पास कुछ भी करने का टाइम नहीं बचेगा। क्योंकि सभी को पूजा में बैठना है। तैयारियां जोर शोर से चल रही थी।

   18
5 Comments

Seema Priyadarshini sahay

24-Sep-2022 07:03 PM

बेहतरीन भाग

Reply

Mithi . S

24-Sep-2022 06:17 AM

Nice post

Reply

Bahut khoob 🙏🌺

Reply